
पूज्य बापूजी की प्रेरणा से देशभर में ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों’ की स्थापना की गयी है। इन गुरुकुलों में विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ वैदिक परंपरा का परिचय दिया जाता है। यहाँ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, ध्यान, जप, आत्मिक उपासना, और जीवन जीने की श्रेष्ठ कला सिखाई जाती है।
गुरुकुलों में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण का विशेष ध्यान रखा जाता है। उन्हें आत्मसम्मान, अनुशासन, राष्ट्रप्रेम और सेवा भाव का संस्कार दिया जाता है।
विद्यार्थियों को उनकी महान वैदिक संस्कृति का सजीव अनुभव कराया जाता है। आश्रमों में दी जाने वाली यह शिक्षा आधुनिक शिक्षा पद्धति के साथ आध्यात्मिकता का एक सुंदर संगम है, जो विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करती है।
पूज्यश्री युवक-युवतियों को राष्ट्र का कर्णधार मानते हैं। इसलिए इन गुरुकुलों में आधुनिकता के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार और योग का समन्वय विद्यार्थियों को संपूर्ण व्यक्तित्व विकसित करने का सशक्त अवसर प्रदान करता है।
