१४ फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस: भारतीय संस्कृति का गौरव

१४ फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस: भारतीय संस्कृति का गौरव

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आज के समय में वेलेंटाइन डे जैसी पश्चिमी परंपराओं के प्रभाव से देश के युवक-युवतियाँ संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी विकृति को रोकने के लिए पूज्य बापूजी ने समाज को एक नयी दिशा देते हुए १४ फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की प्रेरणा दी।

पिछले १९ वर्षों से यह दिवस विद्यालयों, महाविद्यालयों, सोसायटियों और घर-घर में श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। लाखों विद्यार्थियों ने अपने माता-पिता के चरणों में प्रेम और श्रद्धा के फूल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने पूज्य बापूजी की प्रेरणा को सम्मान देते हुए इस दिन को राज्यस्तरीय पर्व घोषित किया और सभी शैक्षणिक संस्थाओं में इसे अनिवार्य रूप से मनाने हेतु परिपत्र भी जारी किया। कर्नाटक सरकार सहित अनेक राज्यों और सुप्रसिद्ध हस्तियों ने इस पुण्य परंपरा की प्रशंसा की है।

‘माँ-बाप को भूलना नहीं’ जैसे सत्साहित्य और ‘माँ-बाप को मत भूलना’ जैसी फिल्में युवाओं में लोकप्रिय हो चुकी हैं। बापूजी का यह अभियान परिवारों में प्रेम, आदर और सामाजिक एकता का अनुपम उदाहरण बन चुका है।

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