
पूज्य बापूजी की प्रेरणा से आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सैकड़ों आश्रम स्थापित हो चुके हैं। इन आश्रमों में जाति, धर्म, राष्ट्र की सीमाओं से परे लाखों लोग आत्मानंद की डुबकी लगाने और अपने हृदय में परमेश्वरीय शांति का प्रसाद पाने हेतु पहुँचते हैं। अध्यात्म के सभी मार्गों का समन्वय करके पूज्यश्री अपने शिष्यों का सर्वांगीण विकास करते हैं।
भक्तियोग, ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग और कुंडलिनी योग के माध्यम से साधक शिष्यों का आध्यात्मिक मार्ग सरल कर देते हैं। पूज्य बापूजी समग्र विश्व के मानव समुदाय की उन्नति के प्रबल पक्षधर हैं। इसी कारण हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और अन्य धर्मों के लोग भी पूज्य बापूजी को अपने हृदय में बसाए हुए हैं और स्वयं को उनका शिष्य कहलाने में गर्व महसूस करते हैं।
आज करोड़ों लोग पूज्यश्री से दीक्षित होकर सत्य, प्रेम और राष्ट्रीय एकता के मार्ग पर चल रहे हैं। सत्संगों में भाग लेकर वे जीवन को सन्मार्ग पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
पूज्य बापूजी कहते हैं कि संसार के जितने भी मजहब, पंथ, मत और जातियाँ हैं, वे उसी एक चैतन्य परमात्मा की सत्ता से उत्पन्न हुई हैं और अंततः उसीमें समा जाएँगी। फिर अज्ञान के वशीभूत होकर भारत को धर्म, जाति, भाषा और सम्प्रदाय के नाम पर क्यों विभाजित किया जा रहा है?
जहाँ आज सारा विश्व चिंता, तनाव, अराजकता, असामाजिकता और अशांति की आग में जल रहा है, वहीं पूज्य बापूजी ने गाँव-गाँव, नगर-महानगर में जाकर अपनी पावन वाणी से समाज में प्रेम, शांति, सद्भाव और आध्यात्मिकता का संचार किया है। उनका उद्देश्य केवल किसी एक धर्म या वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज का कल्याण है।
वास्तव में आज के समय में प्रातः वंदनीय-स्मरणीय आसारामजी बापू जैसे संत मिलना दुर्लभ हैं।
लेकिन निजी स्वार्थवश देश-समाज ऐसे संतों को पहचान ही नहीं पाता।
पूज्य बापूजी ही एकमात्र संत हैं जिन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चलाकर लाखों लोगों की अपने धर्म में घर वापसी भी करवाई।
14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर जात-पात, धर्म-पंथ से हटकर सभी को एक आशियाने के नीचे ला कर रख दिये।
25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ करके स्वास्थ्य व प्रदूषण मुक्त के कारगर उपाय देकर देश-समाज को जागरूक किये।
और भी बहुत कुछ… लिखने लगे तो अन्त ही नहीं आएगा… 🙏🏻
आपके भावपूर्ण शब्द और पूज्य बापूजी के प्रति आपकी श्रद्धा पढ़कर मन गद्गद हो गया।
वास्तव में बापूजी ने न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाया, बल्कि समाज में नैतिकता, संस्कृति और एकता के दीप भी प्रज्वलित किए।
धर्मांतरण रोकने से लेकर मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी पूजन दिवस, नशामुक्ति, संस्कार शिविर और गौसेवा—ये सभी कार्य आज भी लाखों लोगों के जीवन में नई दिशा दे रहे हैं।
आपके जैसे श्रद्धालु साधकों के प्रेम, आशीर्वाद और सहभाग से यह संदेश और सेवा कार्य देश-विदेश में निरंतर फैलते रहेंगे।
परमात्मा से प्रार्थना है कि हम सब मिलकर बापूजी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए संस्कृति-संवर्धन और आत्मकल्याण की ओर अग्रसर रहें। 🙏🏻